ज्ञापन एवं प्रेस विज्ञप्ति

दिनांक: 03 जून 2025
प्रेषक: भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन
विषय: केंद्र सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादाखिलाफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, सम्पूर्ण कर्ज़ माफी समेत अन्य मांगों पर ज्ञापन

देशभर के किसानों ने 21 नवंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के माध्यम से केंद्र सरकार को छः प्रमुख मांगों को लेकर पत्र सौंपा था, जिसके प्रत्युत्तर में कृषि मंत्रालय ने 9 दिसंबर 2021 को आश्वासन पत्र जारी किया था। परंतु अब तक उन वादों पर अमल नहीं हुआ है। इसको लेकर किसानों में व्यापक रोष है। यूनियन द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदय के माध्यम से ज्ञापन सौंपकर यह मांग की गई है कि केंद्र सरकार किसानों से किए गए वादों को तुरंत पूरा करे।

प्रमुख मांगे:
एम.एस.पी. की कानूनी गारंटी: स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार C2 + 50% के फार्मूले पर एमएसपी लागू की जाए।
रोजगार की मांग: निजीकरण से बेरोजगारी बढ़ी है, सरकारी विभागों में नियुक्तियाँ की जाएं।
सीधी वार्ता की मांग: किसानों के संगठनों से हर छह माह में वार्ता सुनिश्चित की जाए।
हाइटेंशन लाइन मुआवजा: खेतों से निकली हाइटेंशन लाइनों की जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए।
किसान आयोग का गठन: जो फसल की लागत और मूल्य तय करे।
ग्राम पंचायतों में बुनियादी ढांचे का निर्माण: स्कूल, अस्पताल, खेल मैदान आदि का निर्माण।
निजीकरण और कॉरपोरेट सिस्टम हटाया जाए।

20 वर्षों से ज्ञापन देने के बावजूद कोई समाधान नहीं: अब राष्ट्रपति द्वारा सीधा संवाद किया जाए।
गरीब किसानों के पट्टे बहाल किए जाएं।
मनरेगा की मजदूरी ₹400 की जाए।
बिजली संसोधन विधेयक 2022 को वापस लिया जाए।
कर्ज़ माफी: 80% किसान कर्ज़ में डूबे हैं।

अन्य महत्वपूर्ण मांगें:
आंदोलन के दौरान किसानों पर लगे झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।
शहीद किसानों के परिवार को मुआवजा व स्मारक।
किसान पेंशन ₹5000 प्रतिमाह लागू हो।
सिंचाई और बिजली माफ हो।
हर किसान परिवार से एक को नौकरी मिले।
सभी प्रकार के बकाया बिल माफ किए जाएं।
अंधा कानून बंद हो, किसानों के साथ हो रहे अत्याचार पर सख्त कार्यवाही हो।